नई दिल्ली. तिरंगा यानी भारत की आन, बान और शान। आज पूरा भारत उत्साह से 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। लाल किले की प्राचीर से लेकर देश के सरकारी कार्यालयों और कई अन्य जगहों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लोग भारत माता और तिरंगे को सलामी देते है। विश्व में भारत की पहचान का एक प्रतीक तिरंगा है। इस तिरंगे को तीन रंगों से बनाया गया है। इस तिरंगे के बीच में एक गोल चक्र है। तिरंगे के रंगों से लेकर चक्र और चक्र में मौजूद तीलियों की संख्या तक सब कुछ देश के लिए प्रतीक की तरह है। इन सब बातों के बाद में भी क्या आपने ये भी सोचा है कि इस तिरंगे को किसने बनाया, वह कौन था जिसने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे को डिजाइन किया होगा, तिरंगे को ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर मान्यता क्यों मिली। इसके रंगों का भी क्या मतलब है। इससे साफ जाहिर है कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी कई रोचक बातें ऐसी हैं, जो आपको जानकारी में नहीं है। गणतंत्र दिवस के मौके पर जाने की भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने वाले शख्स के बारे में और इसे मान्यता दिए जाने की क्या वजह रही। कब और किसने किया तिरंगे को डिजाइन तिरंगे का निर्माण करने वाले इस महान शख्स को पिंगली वेंकैया के नाम से पहचाना जाता जाता है। 1921 में पिंगली वेंकैया ने ध्वज का निर्माण किया था। भारत के लिए एक बेहतर ध्वज का निर्माण करना इतना भी आसान नहीं था। वेंकैया ने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया। जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। उस समय के और आज के तिरंगे में थोड़ा फर्क है। तब तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था। वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी। लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर किया गया।
कौन है पिंगली वेंकैया?
तिरंगे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे। वेंकैया आंध्र के मछलीपत्तनम के पास एक गांव में रहते थे। 19 साल की उम्र में वेंकैया ब्रिटिश आर्मी के सेना नायक बन गए। बाद में दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान पिंगली वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। गांधी से मुलाकात के बाद वैंकेया में बदलाव आया और वे स्वदेश वापस आ गए। उन्होंने ब्रिटिशों की गुलाबी के खिलाफ आवाज उठाई और स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए। जब उन्होंने तिरंगे का निर्माण किया तो पिंगली वेंकैया की उम्र 45 साल थी।
1947 में तिरंगे को अपनाया
तिंरगे को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल का समय लगा। चरखे के जगह अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया। 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को अपना लिया गया। उसके बाद से ही ही इस तिरंगे को स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है।
आखिर क्या है तीन रंगों का मतलब
तिरंगे में तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा है। तीनों रंगों का अपना विशेष महत्व है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है। वहीं हरा रंग संपन्नता को को दर्शाता है। जिस समय तिरंगा डिजाइन किया था, तब लाल और हरे रंग को हिंदू- मुस्लिम का प्रतीक और सफेद रंग को अन्य धर्मों के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया था। तिरंगे में सफेद रंग पर नीले रंग में सम्राट अशोक के धर्म चक्र चिन्ह के तौर पर बना है। अशोक चक्र का कर्तव्य का पहिया कहा जाता है, जिसमें शामिल 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को इंगित करती है।