जयपुर. विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन भरे जाने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब भाजपा ने रूठों को मनाने का काम शुरू कर दिया है। वहीं कांग्रेस इस काम में जुट गई है। 9 नवंबर को नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। पार्टी दो दिन रूठों को मनोन में अपनी पूरी ताकत झोंक देगी। इसके बाद जो नहीं माने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। प्रदेश की करीब 33 सीटें ऐसी हैं जहां पर दोनों पार्टियों के बागियों ने पार्टी प्रत्याशियों की नींद उड़ा रखी है।
खास बात यह है कि पार्टी ने झोटवाड़ा से निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले राजपाल सिंह शेखावत को मनाने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को सौंपी गई है। राजपाल को राजे करीबी नेता माना जाता है। पार्टी ने इस बार राजे के तीनों करीबी राजपाल, अशोक परनामी और युनूस खान को टिकट नहीं दिया है। इसके अलावा भूपेन्द्र यादव को तिजारा, राजेन्द्र राठौड़ को चित्तौडगढ़़ सीट की जिम्मेदारी दे रखी है। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी भी बागियों को मनाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा स्थानीय नेताओं और जिलाध्यक्षों के जरिए भी बागियों से संपर्क किया जा रहा है।
कोर कमेटी के नेताओं के साथ प्रदेश के नेता भी इसकी तैयारी में जुट गए हैं। पार्टी अब तक चित्तौडगढ़़ सीट से निर्दलीय नामांकन भरने वाले विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या को मनाने को लेकर आक्या से बातचीत कर चुकी है। सांचौर से जीवाराम चौधरी, झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत, कोटपूतली से मुकेश गोयल, शिव से रविन्द्र सिंह, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, खंडेला से बंशीधर बाजिया सहित अन्य बागी हुए नेताओं से भी बात करने का दावा किया जा रहा है।
डैमेज कंट्रोल कमेटी फेल
पार्टी ने कैलाश चौधरी, राजेंद्र गहलोत और नारायण पंचारिया की एक डैमेज कंट्रोल कमेटी बनाई थी। मगर यह कमेटी अपने काम में सफल नहीं हो पाई। आलम ये है कि चौधरी अपने क्षेत्र के बागियों तक को नहीं मना पाए। जिसके चलते सोनाराम चौधरी कांग्रेस में चले गए। जालम सिंह रावलोत, तरूण राय कागा आरएलपी से चुनाव लड़ रहे हैं। रविन्द्र सिंह भाटी बागी हो गए, प्रियंका चौधरी को भी वे नहीं मना पाए, जिसकी चलते पार्टी ने अन्य नेताओं को अब जिम्मेदारियां दी है।

Author: indianews24



