नई दिल्ली. भारत के विशेष सुरक्षा समूह यानी एसपीजी को अपना स्थाई निदेशक मिल गया है। उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस आलोक शर्मा को एसपीजी की कमान सौंपी गई है। वह 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और यूपी के रहने वाले हैं। इससे पहले वह भी वह एसपीजी के अस्थाई निदेशक तौर पर काम कर रहे थे। आज जानते हैं एसपीजी के बारे जो आप सब जानना चाहते हैं।
पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एसपीजी का गठन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में अंगरक्षकों की ओर से हत्या किए जाने के बाद इस सुरक्षा दस्ते का गठन 1988 में किया गया। इसको लेकर संसद में एसपीजी एक्ट पारित किया। इस दस्ते का मकसद सिर्फ प्रधानमंत्री को सुरक्षा देना था। पीएम राजीव गांधी ने एक्ट में यह प्रावधान किया था कि एसपीजी केवल प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देगी। तत्कालीन सचिव टीएन शेषन के कहने के बावजूद तत्कालीन राजीव गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया।
राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में बदला एक्ट
1989 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कुर्सी चली गई। इसके साथ ही उनका एसपीजी से मिला सुरक्षा कवच भी हट गया। 1991 में एक चुनावी रैली में पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या हो गई। इसके बाद लगा कि अगर राजीव गांधी के पास एसपीजी सुरक्षा होती तो शायह यह घटना टल जाती। इसके बाद संशोधन किया और फिर पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पद से हटने के बाद 10 साल तक एसपीजी सुरक्षा का कवच प्रदान किया गया।
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पीएम अटल बिहारी बाजपेयी और पीएम मोदी सरकार ने किया संशोधन
प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने एसपीजी एक्ट में फिर से 2003 में संशोधन किया। इसमें प्रावधान किया कि पूर्व प्रधानमंत्री के पद छोडऩे के एक साल बाद तक ही एसपीजी की सुरक्षा दी जाएगी। इसके बाद भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और उनके परिवार को सुरक्षा मिलती रही। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्ट में फिर संशोधन किया और पूर्व पीएम राजीव गांधी की इच्छा अनुरूप ही सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा एसपीजी को सौंप दिया गया।
एसपीजी में शामिल होते हैं ये कमांडोज
प्रधानमंत्री की सुरक्षा संभालने वाली एसपीजी में कमांडोज को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण के बाद शामिल किया जाता है। यह कमांडोज सूट में दिखते तो हैं लेकिन बहुत ही चपल, चालक और चुस्त होते हैं। पलक छपकते ही दुश्मन को मार गिराने में ये पारंगत हैं। इनका काला चश्मा हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है। ये एफएनएफ -असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं। इसमें शामिल होने वाले लोगों का चयन पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों से किया जाता है। इन्हें एक निश्चित समय के बाद बदला जाता है।
एसपीजी का खर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एसपीजी पर रोजाना 1 करोड़ 17 लाख रुपए का खर्च आता है। पहले यह सुरक्षा सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को मिलती थी तो यह खर्च पांच करोड़ रुपए रोजाना तक पहुंच जाता था। अब ये कम हो गया है। एसपीजी के कमांडोज को बढ़े हुए वेतन के अलावा तमाम प्रकार की सुविधाएं भी प्रदान की जाती है।
एसपीजी एक्ट में क्या है?
1.धारा 4 के सब सेक्शन 2 के मुताबिक एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार को जाएगी।
2.धारा 6 के मुताबिक भारत से लेकर विदेश तक एसपीजी का अधिकार क्षेत्र होगा।
3.धारा 7 के मुताबिक एसपीजी का सदस्य हमेशा ही ड्यूटी पर माने जाएंगे।
4.धारा 8 के सेक्शन ए के मुताबिक कोई एसपीजी सदस्य इस्तीफा नहीं दे सकता है।
5.धारा 10 के सब सेक्शन ए के मुताबिक एसपीजी किसी भी संस्था का सदस्य नहीं हो सकता है।
6.धारा 10 के सब सेक्शन सी के मुताबिक एसपीजी का कोई भी सदस्य प्रेस में अपने कार्यकाल बात नहीं कर सकता है और न ही किताब लिख सकता है।
7.धारा 14 के मुताबिक एसपीजी निदेशक की नियुक्ति एसपीजी एक्ट के अनुसार होती है। भारत की कोई भी संस्था या व्यक्ति एसपीजी निदेशक के आदेश को मानने के लिए बाध्य है।
8-धारा 15 के एसपीजी पर कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती है।
ऐसे होती है पीएम की सुरक्षा
विशेष सुरक्षा समूह चार स्तर में प्रधानमंत्री की सुरक्षा करता है। इसमें 24 से अधिक कमांडो रहते हैं। इनके पास पूरी तरह से आधुनिक और स्वचलित हथियार एफएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल होती है। इसके साथ ही इनके पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। प्रधानमंत्री काफिले में एक दर्जन गाडिय़ां होती हैं। इसके लिए बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज शामिल है। इसके साथ ही एक एंबुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी होती है। एसपीजी हर छह साल बाद वाहन को बदल देती है।

Author: indianews24



