जयपुर. Rajasthan Election 2023: राजस्थान की सियासत में इन दिनों उबाल है। सियासी पारा इतना गर्म है कि दल एक दूसरे को निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में जोरदार चर्चे हैं। नाम वापसी के बाद ही विधानसभा चुनावों को लेकर समस्त दलों ने दौड़ धूप को तेज कर दिया। इस बीच कई घटनाक्रम ऐसे भी सामने आए हैं जिससे चुनावी माहौल रोचक मोड पर पहुंंच गया है। कहीं 20 से अधिक बार हारने वाला प्रत्याशी मैदान में है, तो कहीं जमीन बेचकर चुनाव लड़ रहे हैं। कहीं ऐसे मुकाबले भी हैं जहां पति और पत्नी आमने सामने हैं। आप भी जाने राजस्थान की सियासत के ये रोचक मामले।
साथ खेले कूदे, पढ़ाई और नौकरी भी की, अब सियासी मैदान में आमने-सामने

जयपुर जिले की बस्सी विधानसभा सीट इन दिनों खूब चर्चा में है। इस सीट की लड़ाई इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यहां उतरे प्रत्याशी कभी जिगरी दोस्त हुआ करते थे। यहां कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस लक्ष्मण मीणा पर दाव खेलकर मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने उनके दोस्त ने रिटायर्ड आईएएस चंद्र मोहन मीणा को टिकट देकर उनके सामने उतार दिया है। आपको बता दें कि लक्ष्मण और चंद्रमोहन दोनों का बचपन साथ में गुजरा। दोनों रिश्तेदार भी हैं और इनके गांव भी आसपास हैं। दोनों ने एक स्कूल और एक ही कॉलेज से अध्ययन किया। जब 1980-बैच के अधिकारी चंद्रमोहन 1988 से 1990 तक जालोर कलेक्टर थे, तो 1982-बैच के अधिकारी लक्ष्मण वहां के जिला एसपी थे। जब चंद्रमोहन 2000 से 2002 तक बीकानेर संभागीय आयुक्त बने, तो लक्ष्मण को बीकानेर रेंज आईजीपी नियुक्त किया गया। लक्ष्मण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर 2009 में सियासी मैदान में कदम रखा, वहीं चंद्रमोहन ने 2014 में सेवानिवृत्त होकर राजनीति में आए। सेवानिवृत्ति के बाद लक्ष्मण बस्सी से विधायक रहे हैं, जबकि चंद्रमोहन पहली बार चुनाव मैदान में हैं।
यहां पति-पत्नी एक दूसरे के सामने
ये प्रदेश की सबसे रोचक सीट में से एक है। ये सीकर जिले की दांतारामगढ़ हैं। जहां कांग्रेस ने मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है जबकि उनके सामने उनकी पत्नी डॉ. रीटा सिंह चुनाव लड़ रही हैं। रीटा को अजय चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की ओर से प्रत्याशी बनाया गया है। रीटा सिंह दिग्गज कांग्रेसी और पूर्व पीसीसी प्रमुख नारायण सिंह की पुत्रवधू हैं। वह वर्तमान में राजस्थान में जेजेपी के महिला मोर्चा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं।
यहां बेटी ने पिता के खिलाफ ठोकी ताल

अलवर जिले की अलवर ग्रामीण सीट भी काफी चर्चा में है। जहां पर पुत्री पिता के सामने ताल ठोक चुकी है। इस सीट पर भाजपा ने जयराम जाटव को उम्मीदवार बनाया है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पिता जयराम जाटव के खिलाफ उनकी बेटी मीना कुमारी चुनाव लड़ रही हैं। जयराम अलवर ग्रामीण विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछले दिनों जाटव परिवार का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें बहन ने अपने भाई को चप्पल मार दी थी। दरअसल, जैसे ही मीरा जाटव को यह खबर लगी कि उनके पिता जयराम का नाम कुछ संभावित नाम में फाइनल है। इसको लेकर मीरा गुस्सा होकर अन्य दावेदारों के साथ जयपुर पार्टी मुख्यालय पर पहुंच गईं। इस दौरान जयराम और उनकी पुत्री मीरा के समर्थक आपस में भिड़ गए। इस बीच मीरा ने अपने ही भाई को चप्पल उठाकर मार दी।
जीजा-साली की टक्कर
धौलपुर विधानसभा सीट पर भी सगे-संबंधी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सत्ताधारी कांग्रेस ने शोभारानी कुशवाह को टिकट दिया है। वहीं शोभारानी के सामने भाजपा ने उनके जीजा शिवचरण कुशवाह को मैदान में उतारा है। गौरतलब है कि पहले शोभारानी कुशवाह भाजपा की ही विधायक थीं लेकिन राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के आरोप में पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। शोभारानी ने 17 अक्तूबर को कांग्रेस में शामिल हो गईं। दूसरी तरफ जिस कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शिवचरण कुशवाह को शोभारानी ने हराया था, उन्होंने कुछ समय पहले कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। अब इस सीट पर जीजा-साली की लड़ाई ने चुनाव को रोचक बना दिया है।
चाचा-भतीजे उलझे सियासी उलझन में
हनुमानगढ़ जिले की भादरा विधानसभा सीट पर चाचा-भतीजे का मुकाबला भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां भाजपा की ओर से संजीव बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया गया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने उनके भतीजे अजीत बेनीवाल को चुनाव मैदान में उनके सामने उतार दिया है। गौरतलब है कि संजीव बेनीवाल भाजपा से दो बार विधायक रह चुके हैं। बेनीवाल साल 1998 और 2013 में विधायक रह चुके हैं।

Author: indianews24



