नई दिल्ली. king of Beswan: दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को एक अनोखा मामला आया। कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने खुद को बेसवान राज्य का उत्तराधिकारी होने का दावा किया है। उन्होने कहा कि उसके राज्य का भारत में विलय नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्रध्वज प्रताप सिंह की याचिका खारिज कर उस पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी मांग के पक्ष में कुछ भी प्रमाण नहीं दे सके। याचिका पूरी तरह से गलत और न्यायिक समय की बर्बादी है।
इतने शहरों की संपत्तियों पर जताया था दावा
याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया कि आज के आगरा, मेरठ, अलीगढ़ और दिल्ली, गुड़गांव और उत्तराखंड की 65 संपत्तियां उसकी कथित बेसवान रियासत की सम्पत्ति है। इस रियासत का न तो भारत में विलय हुआ और न ही सम्पत्ति का हस्तांतरण भारत संघ में किया गया। याचिका में बेसवान के विलय की औपचारिकता पूरी करने और 1950 से इस क्षेत्र से वसूले राजस्व को उन्हें देने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई। उसने यह भी कहा कि भारत में इस जमीन के विलय के सरकार उसे 1950 से लेकर अब तक एकत्रित किया गया राजस्व भी दे।
विलय से पहले यहां न हो कोई भी चुनाव
उसने यह भी मांग कि थी की जब तक उसके राज्य का आधिकारिक विलय भारत के साथ नहीं हो जाता तब तक यहां कोई भी लोकसभा, विधानसभा या निकाय चुनाव ना करवाए जाएं। इससे पहले उसने खुद को तोमर वंश का राजा भी घोषित किया था और क़ुतुब मीनार पर भी दावा ठोका था।