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अब रेसलर विनेश फोगाट आगे आई, खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार वापस करने का किया ऐलान, पीएम मोदी को लिख दी बड़ी बात…

नई दिल्ली. खेल मंत्रालय की ओर से कुश्ती संघ को निलंबित करने के बावजूद खिलाडिय़ों का आक्रोश थामने का नाम नहीं ले रहा है। पहले पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने ऐलान किया और अब विनेश फोगाट भी आगे आ गई है। विनेश ने पीएम मोदी को खुला पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न को वापस करने का ऐलान कर दिया है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी, साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को ये सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।

मुझे बार-बार 2016 याद आ रहा है – विनेश

इस पत्र में विनेश ने आगे लिखा कि मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोडऩी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है।

क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है। मैंने ओलंपिक में पदक जीतने का सपना देखा था कि लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाडिय़ों का यह सपना ज़रूर पूरा हो। पर हमारी जि़न्दगियाँ उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है।

हम घुट घुट कर जी रहे हैं

कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट–घुट कर जी रही हैं। आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीक़े से नारे भी लगवाए हैं। आप अपनी जिंदगी के सिर्फ 5 मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या–क्या किया है।

उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबुली है और हम महिला खिलाडिय़ों को जलील करने का एक मौक़ा भी नहीं छोड़ा है। उससे ज़्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। यह बहुत भयावह है।

कई बार इस सारे घटनाक्रम को भूल जाने का प्रयास भी किया, लेकिन इतना आसान नहीं है। सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं। कोई हमारी सुध नहीं ले रहा।

सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया। अब जब अपने न्याय के लिए आवाज़ उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूँ कि क्या हम देशद्रोही हैं?

बजरंग ने किस हालत में अपना पद्मश्री वापस लौटाने का फैसला लिया होगा, मुझे नहीं पता। पर मैं उसकी वह फोटो देख अंदर ही अंदर घुट रही हूँ। उसके बाद अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन्न आने लगी है। जब ये पुरस्कार मुझे मिले थे तो मेरी मां ने हमारे पड़ौस में मिठाई बाँटी थी और मेरी काकी ताइयों को बताया था कि विनेश की टीवी में खबर आयी है उसे देखना। मेरी बेटी पुरस्कार लेते हुए कितनी सुंदर लग रही है।

कई बार यह सोचकर घबरा जाती हूं कि अब जब मेरी काकी ताई टीवी में हमारी हालत देखती होंगी तो वह मेरी माँ को क्या कहती होंगी? भारत की कोई मां नहीं चाहेगी कि उसकी बेटी की यह हालत हो। अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूँ, क्योंकि वह सपना था और जो अब हमारे साथ हो रहा है वह हक़ीक़त।

मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया था। जिनका अब मेरी जि़ंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जि़ंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें। आपके घर की बेटी- विनेश फोगाट।

खिलाडिय़ों ने इसलिए उठाए ये कदम

बजरंग पूनिया ने भी अपना पद्मश्री वापस देने की घोषणा की थी। साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लिया है। कथित तौर पर बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवानों ने विरोध जताते हुए ये कदम उठाये हैं। हालांकि खेल मंत्रालय ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया को बर्खास्त कर दिया है। संजय सिंह ने अध्यक्ष बनने के बाद अंडर 15 और अंडर 20 रेसलिंग इवेंट्स का आयोजन कराने का फैसला लिया था। इसके बाद खेल मंत्रालय हरकत में आया था। विनेश ने दो पन्नों का एक बड़ा लेटर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। विनेश फोगाट को एशियाई खेलों के लिए बिना ट्रायल सीधे एंट्री मिली थी लेकिन बाद में उन्होंने घोषणा करते हुए कहा था कि घुटने की चोट के कारण वह टूर्नामेंट नहीं खेल पाएंगी। बजरंग पूनिया भी एशियाई खेलों में शामिल थे, लेकिन वह ब्रोंज मेडल मैच में हारे थे। बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाने के बाद कुछ पहलवानों ने धरना दिया था, उनमें विनेश, साक्षी और बजरंग भी शामिल थे।

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