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ERCP Project : पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के एमओयू पर लगी उच्चतम न्यायालय की मुहर,पीकेसी का मार्ग प्रशस्त

ERCP Project

जयपुर.ERCP Project: उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के मध्य संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (PKC PROJECT) के लिए हुए एमओयू पर मुहर लगा दी है। इससे बहुप्रतीक्षित ईआरसीपी का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश द्वारा ईआरसीपी के सम्बन्ध में दायर याचिका इस आधार पर निस्तारित कर दी कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना पर त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय में प्रकरण निस्तारण हो जाने के उपरांत अब संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के लिए हुए एमओयू को लागू जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

इस सम्बन्ध में पूर्व में राजस्थान सरकार के ERCP के प्रस्ताव को नकारते हुए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्वयं के हितों के संरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज की गई थी, परन्तु केन्द्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए नई दिल्ली में 28 जनवरी 2024 को त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए और दोनों राज्यों के बीच में विवाद की स्थिति समाप्त हो गई। यह एमओयू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विशेष प्रयासों से ही संभव हो पाया। अब उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ईआरसीपी के सम्बन्ध में दायर याचिका निस्तारित कर दी गई है।

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केन्द्र सरकार द्वारा 13 दिसम्बर 2022 को पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना को ईआरसीपी के साथ एकीकृत करने के प्रस्ताव को प्राथमिकता वाली लिंक परियोजना हेतु अनुमोदन किया गया। एमओयू के अनुसार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना में सम्मिलित रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनैरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज, डूंगरी बांध, रामगढ़ बैराज से डूंगरी बांध तक फीडर तंत्र, ईसरदा बांध का क्षमता वर्धन एवं पूर्वनिर्मित २६ बांधों का पुनरूद्धार किया जाएगा।

ERCP के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के 2,80,000 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इस परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, भूजल के स्तर में भी वृद्धि होगी। इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। ईआरसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।

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