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Loksabha election: इस बार नहीं दिखेंगे जेटली, सुषमा, अहमद पटेल, मुलायम, पासवान जैसे दिग्गज

Loksabha election 2024

नई दिल्ली. Loksabha election 2024: इस बार के आम चुनाव खास बात यह है कि ज्यादातर जगह नए चेहरों को मौका दिया दिया है। इसके अलावा विभिन्न दलों में रणनीति बनाने वाली टीम बदली हुई है। देश के कई कद्दावर नेताओं के निधन हो चुका है और कुछ नेताओं ने सियासत से दूरी बना ली है। ऐसे में नई टीम तैयार हुई है जो चुनावी प्रबंधन में जुटी हुई है।

इससे साफ है कि अलग-अलग दल और गठबंधन का दारोमदार नए सिपहसालारों और उनकी ओर से बनाई रणनीति पर टिकी नजर आ रही है। बीते चुनाव में रणनीतियों के सहारे चुनाव को दशा और दिशा देने वाले कई सियासी दिग्गज दुनिया छोड़ चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी- लालकृष्ण आडवाणी युग से ही भाजपा के मुख्य रणनीतिकारों में रहे अरुण जेटली और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का निधन हो गया है।

कांग्रेस में भी दशकों तक रणनीति और चुनाव प्रबंधन करने वाले अहमद पटेल, मोतीलाल वोरा भी अब नहीं है। एके एंटनी ने सियासत से दूरी बना ली है। दूसरे कई दलों में भी यही स्थिति है। सपा के सर्वेसर्वा मुलायम सिंह यादव, रालोद के संस्थापक चौधरी अजित सिंह और देश के सबसे कद्दावर दलित चेहरा रामविलास पासवान के नहीं रहने से इन दलों में भी रणनीति बनाने का जिम्मा नए हाथों में आ गया है। कभी जदयू की रणनीति संभालने वाले आरसीपी सिंह की जगह अब केसी त्यागी हैं, तो तृणमूल कांग्रेस रणनीति के मामले में अब सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर निर्भर है।

कांग्रेस : वेणुगोपाल सुरजेवाला, रमेश, हुड्डा निभा रहे जिम्मेदारी

कांग्रेस की रणनीतिक टीम में भी आमूलचूल बदलाव देखने को मिला है। दशकों बाद पार्टी में गांधी परिवार के इतर sc वर्ग के मल्लिकार्जुन खरगे अध्यक्ष हैं। नई रणनीतिक टीम में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, गौरव गोगोई, भूपेश बघेल और अशोक गहलोत हैं। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार चुनावी रणनीति के साथ प्रबंधन की कमान भी संभाल रहे हैं।

राजद : लालू सलाहकार तो तेजस्वी मुख्य रणनीतिकार

इस चुनाव में बिहार के डिप्टी सीएम रहे राजद नेता तेजस्वी यादव न सिर्फ अपनी पार्टी, बल्कि राज्य में विपक्षी गठबंधन के भी मुख्य रणनीतिकार हैं। आक्रामक प्रचार और भाषण देने वाली उनकी छवि पर सहयोगी दलों को भरोसा है। राजद के सर्वेसर्वा रहे लालू प्रसाद यादव सलाहकार की भूमिका में हैं।

सपा : अखिलेश को मदद में शिवपाल और रामगोपाल

बीते चुनाव के मुकाबले समाजवादी पार्टी की रणनीतिक टीम में भी बदलाव सामने आया है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रणनीति का जिम्मा पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पास है। वहीं, नाराजगी और गिले शिकवे दूर होने के बाद रणनीति बनाने में शिवपाल यादव के साथ प्रो. रामगोपाल यादव मदद करने में लगे हुए हैं।

भाजपा : शाह की अगुवाई में प्रधान ठाकुर और हिमंता प्रमुख चेहरे

भाजपा में वैसे तो गृहमंत्री अमित शाह 2014 से ही मुख्य रणनीतिकारों में से एक हैं। लेकिन दिवंगत अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, मनोहर परिकर के बाद अब रणनीति का सारा दारोमदार उन्हीं के कंधों पर आ गया है। उनकी अगुवाई वाली रणनीतिकारों की नई टीम में महासचिव सुनील बंसल, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, अश्विनी वैष्णव, भूपेंद्र यादव, असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा प्रमुख चेहरे हैं।

रालोद : अब जयंत ही सर्वेसर्वा

चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद रालोद में अब उनके पुत्र जयंत चौधरी सर्वेसर्वा हैं। पार्टी के इकलौते रणनीतिकार ने हाल ही में विपक्षी गठबंधन से किनारा कर NDA से नाता जोड़ लिया है। बीते दो चुनाव से सूखा झेल रही उनकी पार्टी को नए गठबंधन के साथ खाता खुलने की उम्मीद है।

लोजपा : चिराग ही संभालेंगे विरासत

राजनीति में दलितों के कद्दावर चेहरा रहे रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी दो हिस्से में बंट गई। पुत्र चिराग और भाई पशुपति ने अलग-अलग राह अपना ली। 2014 में लोजपा को राजग में लाने के लिए अपने पिता रामविलास को राजी करने वाले चिराग के पास अब पिता की विरासत और पार्टी संभालने की जिम्मेदारी आ गई है। उन्हें पहली सफलता उस समय मिली, जब भाजपा ने गठबंधन के लिए चिराग को पशुपति पर तरजीह दी। अब चिराग रणनीति का तानाबाना बुनने में लगे हुए हैं।

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