नई दिल्ली. भारतीय सेना ने एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक वाली ह्यूमन इन लूप लैंड माइन सिस्टम (Human in loop land mine system) तैयार किया है। ये ऐसा माइनिंग सिस्टम है। जिसे सिर्फ अपने ही आर्मी के जवान एक्टिवेट कर पाएंगे। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में अपनी ही बिछायी लैंड माइंस से नुकसान नहीं होगा, बल्कि दुश्मन के परखच्चे उड़ जाएंगे। दुनिया के कई देशों में पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले 2 साल से जारी यूक्रेन–रूस के बीच जंग में भी इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस नई सिस्टम से एक स्क्रीन जुड़ी होगी, जिस पर लैंड माइन के एरिया में किसी के भी आने पर तुरंत सिग्नल आने शुरू हो जाएंगे।
स्मार्ट माइंस की खासियत
ह्यूमन इन लूप लैंड माइन सिस्टम AI तकनीक से लैस है। इसे नेवीगेशन तथा स्मार्ट स्क्रीन की मदद से ऑपरेट किया जाता है। अच्छी चीज यह है कि सिस्टम कई एकड़ के एरिया को भी कवर करेगा। इसके इस्तेमाल से युद्ध क्षेत्र में होने वाले जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा, साथ ही एक बार इस्तेमाल नहीं होने पर फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। सिस्टम को कमांड देकर आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
आर्मी इस नए स्मार्ट माइंस को नेटवर्क कमांड इम्यूनिशन सिस्टम भी कहते हैं। आम तौर पर युद्ध क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लैंड माइंस का इस्तेमाल करना होता है। इसमें कई बार इस बात का खतरा होता था कि युद्ध क्षेत्र से लौटते वक्त अपने ही सैनिक कहीं इसकी चपेट में न आ जाएं। कई बार ऐसे हादसे भी हो चुके हैं। इस नए लैंड माइंस के जरिए ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा। माइंस की लोकेशन नेवीगेशन से पता लग सकेगी।
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दोबारा किया जा सकेगा इस्तेमाल
यह लैंड माइंस सिस्टम एक स्क्रीन से जुड़ी होगी। जब भी कोई लैंड माइंस के दायरे में आएगा तो यह स्क्रीन पर इंडिकेट होने लगेगा। यह भी बता देगा कि लैंड माइंस के दायरे में कोई इंसान है या फिर गाड़ी। इसके बाद लैंड माइंस को कंट्रोल कर रहा शख्स टारगेट को देखकर इसे एक्टिवेट कर देगा। अभी तक ऐसी कोई तकनीक भारत में मौजूद नहीं थी, जिसमें लैंड माइंस को इंस्टाल किए जाने के बाद इसे कंट्रोल किया जा सके, लेकिन अब इस सिस्टम में यह सुविधा मिलने लगेगी। मौजूदा समय में भारतीय सेना जिस तरह से लैंड माइंस सिस्टम यूज कर रही हैं, उन्हें दोबारा से यूज नहीं किया जा सकता। इसके साथ दिक्कत यही थी कि अगर कोई फिर से इसके पास गया तो यह तुरंत ब्लास्ट हो जाता है। नई तकनीक में सुविधा यही है कि अगर यह इस्तेमाल नहीं हो सका तो इसे जमीन से निकाल लिया जाएगा। इसके बाद दूसरे ऑपरेशन में इसे फिर से प्लांट किया जा सकेगा।
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Author: indianews24
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