India News24

indianews24
Search
Close this search box.

Follow Us:

Brassica Conference: कृषि मंत्री ने सरसों उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर, राजस्थान उच्च गुणवत्ता की सरसों का उत्पादक राज्य

Kirodilal meena agriculture minister

जयपुर.Brassica Conference: राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा में कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पांचवें ब्रासिका सम्मेलन (Brassica Conference) का सरसों अनुसंधान समिति के सहयोग से आयोजन शुरू हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन का शुभारम्भ कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने किया। कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान सरसों उत्पादन में प्रथम स्थान पर है तथा राजस्थान के पूर्वी जिलों में सर्वाधिक सरसों उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च गुणवत्ता की सरसों का उत्पादक राज्य है फिर भी इतनी पैदावार होने के बाद भी सरसों का आयात करना पड़ता है क्योंकि ICAR के अनुसार पहले तेल की प्रति व्यक्ति उपभोग दर 8 किग्रा थी तथा वर्तमान में उपभोग दर बढ़ कर 19 किग्रा हो गई है।

इसलिए प्रति व्यक्ति उपभोग दर बढ़ने से कमी का सामना करना पड़ रहा हैं। उन्होंने  PM नरेंद्र मोदी की विचारधारा को पेश करते हुए कहां की मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसलिए हमें आत्मनिर्भर होने के लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से विचार विमर्श करते हुए कहा कि हमें सरसो में प्राकृतिक आपदा और चेपा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए तकनीकी इजात करनी चाहिए।

Accident in Ajmer: तेज रफ्तार से चल रही पिकअप ने एम्बुलेंस के टक्कर मारी, मरीज सहित 7 घायल

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन का मुख्य राज्य है जिसमें पैदावार की अनंत संभावनाएं हैं जिस पर हमें कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि एफिड की समस्या के अतिरिक्त वातावरण परिवर्तन की अनेक समस्याओं के साथ-साथ बीमारियों की समस्याएं भी सरसों की पैदावार घटाने में मुख्य है जिस पर हमें कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के कई जिले अन्य तिलहन फसलों के उत्पादक है।

उन्होंने बताया कि सरसों व तारामीरा तेल उत्पादन के साथ-साथ शहद उत्पादन में भी मुख्य भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा में अखिल भारतीय गेहूं  सुधार परियोजना के तहत कई किस्में विकसित की गई है जिनमें राज 3077 सबसे पुरानी किस्म हैं तथा जौ में माल्टिंग प्रयोग, दोहरे प्रयोग की किस्में तथा चारे के लिए प्रयोग की किस्में  विकसित की गई हैं साथ ही खाद्य प्रयोग हेतू प्रयुक्त जौ पर कार्य किया जा रहा हैं जो मधुमेह रोगीयों के लिए लाभदायक होता हैं।

इस दौरान सारांश पुस्तिका एवं डॉ. मनोहर राम एवम अन्य वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई सरसों एवं तारामीरा के इतिहास पुस्तिका का विमोचन किया गया। सम्मेलन में देशभर से आए लगभग 176 वैज्ञानिकों ने शिरकत की ।सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र भी उपस्थित रहे।

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *