India News24

indianews24
Search
Close this search box.

Follow Us:

धरा पर राजे, कुर्सी पर भजनलाल, तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का टूटा सपना,  सीएम नहीं बनने के ये 5 बड़े कारण बने

जयपुर. Rajasthan New CM Bhajanlal Sharma : लंबी कसरत के बाद आखिर राजस्थान को नया मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के रुप में मिल गया। इसके साथ ही सूबे की सियासत में लगाई जा रही तमाम अटकलों पर विराम लग गया है। इससे साफ हो गया है की राजस्थान में मोदी मैजिक काम कर गया।जो दो बार की सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे को तीसरी बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के दावे किए जा रहे थे वे सभी फेल हो गए।

05 बड़े कारण जो बन गए रोड़ा 

1. तीनों राज्यों में नया चेहरा

केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार तीनों ही राज्यों में नए चहरे को मुख्यमंत्री बनाने का फार्मूला अपनाया। जिस तरह से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम के ऐलान किया उससे साफ हो गया की राजस्थान में भी एसा कुछ होने वाला है। केंद्रीय नेतृत्व ने यही किया। नए चेहरे के इस नए फॉर्मूले के कारण वसुंधरा राजे CM बनने की रेस से बाहर हो गई और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का उनका सपना टूट गया।

2.आड़े आ गया उम्र का फैक्टर

केंद्रीय नेतृत्व ने इस बात के पहले ही संकेत दिए थे कि इस बार तीनों चुनावी राज्यों में 70 वर्ष से कम उम्र का ही मुख्यमंत्री बनाया जायेगा। मध्य प्रदेश में 58 वर्षीय मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में 59 वर्षीय विष्णुदेव साय को नया मुख्यमंत्री चुना है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की वर्त्तमान उम्र ठीक 70 वर्ष है, लेकिन लगभग तीन माह बाद मार्च में ही वे इस पड़ाव को पार कर जाएंगी। ये फैक्टर भी राजे के विपरीत गया।

3.खुद के लिए बाड़ाबंदी बनी परेशानी !

ये वसुंधरा के सीएम नहीं बन पाने के पीछे सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। चुनाव परिणाम आने और नए मुख्यमंत्री के चयन की कवायद के बीच वसुंधरा राजे और उनके सांसद पुत्र पर भाजपा के कुछ चुने हुए विधायकों की बाड़ाबंदी करने के आरोप लगे थे। एक नवनिर्वाचित विधायक के पिता ने तो कोटा संभाग के विधायकों को जयपुर के एक रिज़ॉर्ट में रखे जाने की मीडिया के समक्ष बात रखी थी। जयपुर में हुईं ये तमाम हलचलों की अपडेट्स दिल्ली तक पहुंचीं, जो शीर्ष नेतृत्व की नाराज़गी का कारण बनी और उन्हें इस रेस से बाहर का रास्ता दिखाया गया।

4. इस बार राजस्थान में नहीं था CM फेस

राजस्थान में इस बार बिना CM फेस के चुनाव लड़ा था और भाजपा बहुमत के साथ आई। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल के निशान पर चुनाव लड़ा और कमीशन जीत लिया। बिना वसुंधरा के चेहरे से मिली जीत ने राजे को इस दौड़ में पीछे छोड़ दिया।

5. आलाकमान को दिखा चुकीं ‘आंखें’

राजे पूर्व में कई बार केंद्रीय नेतृत्व को आंख दिखा चुकीं हैं। माना जा रहा है कि ऐसी स्थिति 5 वर्ष में ना आये इसलिए राजे केंद्रीय नेतृत्व के पसंदीदा नामों में शामिल नहीं रहीं। वैसे राजे राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष भी हैं, ऐसे में उनकी भूमिका को संगठन में ज़्यादा उपयोगी मानी जा रही है।

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *