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Himachal News: हिमाचल में ट्रक और बस ऑपरेटर हड़ताल पर, पेट्रोल-डीजल का मंडराया संकट, रुक गई सीमेंट सप्लाई

शिमला. Truck and bus operators strike: हिट एंड रन मामलों को लेकर मोटर वाहन अधिनियम में किए संशोधन के खिलाफ हिमाचल में भी ट्रक और बस ऑपरेटरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। प्रदेश की सीमेंट कंपनियों एसीसी, अंबुजा और अल्ट्राटेक के 10,800 ट्रक ऑपरेटर हड़ताल पर रहे। तीन जनवरी तक चक्काजाम कर केंद्र सरकार का विरोध करेंगे। ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल से सीमेंट की सप्लाई रुक गई है। उधर, सिरमौर और बिलासपुर के ऑपरेटरों ने भी विरोध में उतरते हुए अपनी 450 से अधिक बसें खड़ी कर दी हैं। बिलासपुर में 305 और सिरमौर में 169 बस रूट प्रभावित हुए हैं। सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में भी 500 ट्रकों के पहिए थम गए हैं। देश में तीन दिन से चल रही हड़ताल से हिमाचल में डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस का संकट मंडराने लगा है।

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डीजल-पेट्रोल के लिए लग रही लाइनें

तेल की सप्लाई न आने से पेट्रोल पंपों पर डीजल-पेट्रोल के लिए लाइनें लग रही हैं। बाहर से प्रदेश में घूमने आए सैलानियों को घर लौटने के लिए वाहन ईंधन नहीं मिल रहा। कम स्टॉक होने से पंपों पर पर्याप्त तेल नहीं मिल रहा है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के डिपो में भी तेल की किल्लत हो गई है। कई डिपो में नाममात्र स्टॉक ही बचा है। एक-दो दिन में सप्लाई नहीं आई तो सरकारी बसें भी खड़ी हो जाएंगी। तेल की कमी के चलते परिवहन निगम मंगलवार से रूटों को क्लब कर रहा है। यानी की जिस रूट पर पहले दो बसें चलती थी, वहां एक चलाई जा सकती हैं ताकि तेल की बचत हो।

9 पेट्रोल पंपों में तेल खत्म

तीन दिन से सप्लाई न आने से राजधानी शिमला में 12 में से 9 पंपों में तेल खत्म हो चुका है। अब केवल एंबुलेंस और वीआईपी वाहनों को ही तेल दिया जा रहा है। सोमवार को स्कूटी वालों को 200 और अन्य वाहनों को 500 रुपये का तेल दिया गया। सोलन जिले में 55 फीसदी पेट्रोल पंपों पर तेल की किल्लत है। बीबीएन में सबसे ज्यादा असर देखा गया है। यहां हड़ताल के पहले दिन ही 90 फीसदी पेट्रोल खत्म हो गया है। मंगलवार को जिले में 80 फीसदी पंप खाली हो जाएंगे। दाड़लाघाट और बागा में सीमेंट की सप्लाई ठप है। दाड़लाघाट और बागा यूनियनों में करीब 7000 ट्रक हैं। चंबा में 1000 की जगह 500 और 500 की जगह 200 रुपये का तेल मिल रहा है। मंडी जिले में कुछ पंपों पर पेट्रोल-डीजल में कटौती जा रही है। लेकिन निजी बसें नहीं चलने से यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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