चूरू.Rajasthan Politics : चूरू लोकसभा क्षेत्र से बड़ी खबर सामने आ रही। सियासी गलियारों में चर्चा है भाजपा के सांसद राहुल कस्वा अब कांग्रेस का हाथ थाम सकते है। इसके साथ ही BJP को तगड़ा झटका लगने वाला है। दो दिन पहले राहुल की ओर से की गई सभा में संकेत दिया था। माना जा रहा है की वे दिल्ली के कांग्रेस कार्यालय सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही चूरू जिले की भाजपा के लिए बड़ा झटका होगा। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने दो बार के सांसद राहुल कसवा की इस बार टिकट काट दी थी। उनके स्थान पर पेरा ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझडिया को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। टिकट कटने के बाद से ही चूरू की सियासत में हलचल मची हुई थी। लेकिन अब इस पर विराम लगने वाला है। राहुल कस्वा 2014 और 2019 में लगातार जीते।
टिकट कटने के बाद से नाराज है कस्वा
टिकट कटने के बाद से ही कस्वा नाराज चल रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। पर कोई जवाब नहीं मिला। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि मैंने कभी कोई लालसा नहीं रखी, मेरी सदैव लालसा रही कि मेरे चूरू लोकसभा परिवार की समृध्दि के लिए हर मुमकिन प्रयास करता रहूं। फिर भी मेरे समझ न आया और न कोई बता पाया कि ‘मेरा गुनाह क्या था’ ? उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि कोई एक व्यक्ति (इशारा राजेंद्र राठौड़ की तरफ) चूरू लोकसभा के भविष्य को तय नहीं करेगा। चूरू लोकसभा के भविष्य को यहां की जनता तय करेगी।
एक पोस्ट पर हजारों लोग आए
BJP की टिकट नहीं दिए जाने के बाद 7 मार्च को सोशल मीडिया एक पोस्ट की। जिसमें उन्होंने शुक्रवार (8 मार्च) को चूरू सादुलपुर पहुंचने की बात कही। इस di उनके आवास पर हजारों कार्यकर्ता एकत्रित हुए। कस्वा ने समर्थकों से चर्चा की। उन्होंने ठीक 2 दिन बाद बीजेपी छोड़ने का फैसला कर लिया।
राहुल कस्वा 2 दिन पहले दिए संकेत
सादुलपुर जाने से पहले सांसद राहुल कस्वां ने एक पोस्ट में हिंट दिया कि वो क्या फैसला लेने वाले हैं। उनके द्वारा जो पोस्टर सोशल साइट पर अपलोड किया गया, उसमें से कमल गायब नजर आया। हालांकि, उन्होंने बायो और कवर फोटो में कोई परिवर्तन नहीं किया था। तब से ही सियासी कयास लगाए जाने लगे थे। माना जाता है कि राजनीति में सियासी संकेत का बड़ा महत्व है।
एक राजनीति का धुरंधर, दूसरे सियासत के नए खिलाड़ी
राहुल कस्वा को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता चार बार सांसद रहे। फिर लोकसभा राहुल को 2014 में टिकट मिला और सांसद बने, 2019 में भी जीते। 2024 में पार्टी ने उन्हें किनारे कर दिया। ऐसे में राहुल राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं। वहीं इनके स्थान पर पेरा ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझडिया को टिकट देकर मैदान में उतारा। ये सीधे खेल के मैदान से सियासी पिच पर पारी की शुरुआत करने आए हैं। ऐसे में अब एक धुरंधर और नए खिलाड़ी के बीच सियासी खेल देखने लायक होगा।
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Author: indianews24
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