जयपुर. Rajasthan politics: सूबे की सियासत में नए साल से नई इबारत लिखी गई। पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा ने 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अब 30 दिसंबर को उनके मंत्रीमंडल ने भी पद की शपथ ली। इसके साथ ही इसके साथ ही अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के युग का एक तरह से अवसान हो गया। राजस्थान में 25 साल तक सिर्फ दो चेहरे बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनते रहे, लेकिन इस बार के राजनीतिक समीकरणों ने सियासत के धुरंधरों को एक तरह से किनारे कर दिया गया। 1998 में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। उसके बाद हर पांच साल मुख्यमंत्री पद, गहलोत और बीजेपी की वसुंधरा राजे के बीच बदलता रहा। लेकिन ये परंपरा तो नहीं बदली पर चेहरे जरूर बदल दिए गए। दोनों ही दलों के लिए साल 2023 नया सबक दे गया। 25 नवंबर को राज्य विधानसभा की 200 में से 199 सीट के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 115 सीट जीत का बहुमत हासिल किया।
वसुंधरा की जगह भजनलाल पर मुहर
भाजपा ने भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुना और उन्होंने 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उनके साथ दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन यह राज्य में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद राजे को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की दौड़ से अलग कर दिया गया। हालांकि, पार्टी ने सांगानेर सीट से पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को चुनकर चौंका दिया। जबकि गहलोत रिवाज बदलने में कामयाब नहीं हो पाए।
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Author: indianews24
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